दिल्ली में भी बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर लड़ेंगे विधानसभा का चुनाव,बिहार की जनता को एकजुटता संदेश देना है मकसद
बिहार के बाद पहली बार किसी भी राज्य अथवा केंद्र शाशित प्रदेश में बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन होने जा रहा है। बिहार के तर्ज पर दिल्ली में भी बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लडेंगे। दिल्ली में बीजेपी के साथ जेडीयू के करार की घोषणा एक-दो दिनों के भीतर होने वाली है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। तमाम दलों के नेता चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने अपने सभी 70 उम्मीदवारों को नामों का ऐलान कर दिया है। बीजेपी और कांग्रेस भी आज उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने वाले हैं। पर सवाल यह है कि बीजेपी आखिर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने में इतनी देर क्यों कर रही है? इसके पीछे का कारण क्या है?
दरअसल, बिहार के बाद पहली बार किसी भी राज्य अथवा केंद्र शाशित प्रदेश में बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन होने जा रहा है। बिहार के तर्ज पर दिल्ली में भी बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लडेंगे। दिल्ली में बीजेपी के साथ जेडीयू के करार की घोषणा एक-दो दिनों के भीतर होने वाली है।
जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि दिल्ली में बीजेपी-जेडीयू के बीच होने वाले गठबंधन में सीटों की संख्या का कोई मतलब नहीं है। जेडीयू को अगर चार-पांच सीटें भी मिल जाएंगी तो भी चलेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि बिहार में बीजेपी-जेडीयू की एकजुटता का संदेश बड़े स्तर पर देना है।
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले ही जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री लीतीश कुमार ने दिल्ली के बदरपुर में एक जनसभा की थी। उस सभा में ही यह तय हो गया था कि 2020 में हो रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के खिलाफ जेडीयू मैदान में उतरेगी। उस समय बात अकेले ही चुनाव लडऩे की थी, लेकिन अब मामला यह है कि जेडीयू ने पहली बार बिहार के बाहर बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही है।
बीजेपी और जेडीयू के बीच भले ही यह करार दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए हो रहा है। लेकिन इसका संदेश बिहार को देना है। ठोस तरीके से बिहार में यह बताना है कि बीजेपी और जेडीयू बड़े स्तर पर एकजुट हैं। बिहार के साथ-साथ दिल्ली में भी एकजुट होकर दोनों पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं औ जरूरत पड़ी तो देश के अन्य प्रदेशों में दोनों दलों के बीच चुनावी गठबंधन हो सकता है।
ज्ञात हो कि दिल्ली में विधानसभा की काफी सीटों पर बिहार का काफी महत्व है। बिहारी मतदाता यहां दिल्लीवालों के साथ मिलकर हार-जीत तय करते रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के प्रत्याशी के लिए सभा करते हैं, तो उसका काफी असर रहेगा। बीजेपी भी यह समझती है कि केजरीवाल को रोकने में नीतीश कुमार की छवि प्रभावी हो सकती है।
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