राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन और सुविधाएं की बंद, बीजेपी ने जताया विरोध, मीसा बंदी जाएंगे अदालत
मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी आपातकाल के दौरान जेल गए मीसा बंदियों और डीआरआई बंदियों की पेंशन बंद कर दी है। पेंशन के साथ ही उन्हें मिलने वाली नि:शुल्क बस यात्रा सुविधा और चिकित्सा सुविधा भी बंद हो गई है।
मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी आपातकाल के दौरान जेल गए मीसा बंदियों और डीआरआई बंदियों की पेंशन बंद कर दी है। पेंशन के साथ ही उन्हें मिलने वाली नि:शुल्क बस यात्रा सुविधा और चिकित्सा सुविधा भी बंद हो गई है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने यह फैसला कैबिनेट बैठक के दौरान लिया। प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने पत्रकारों को इसकी जानकारी दी।
शांति धारीवाल ने कहा कि इन लोगों को पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। क्या ये लोग देश की आजादी के लिए लड़े थे? इन्होंने देश की आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी थी, इन्होंने तो कानून का उल्लंघन किया था, तब हमने जेल में डाला था। अगर ये माफी मांग लेते तो इनको छोड़ देते। धारीवाल ने कहा कि इनके नेता वीर सावरकर ने, तो 9 बार माफी मांगी थी। ये माफी मांग लेते तो क्या होता?
राजस्थान सरकार के निर्णय का भारतीय जनता पार्टी ने विरोध किया है। बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पेंशन बंद कर लोकतंत्र के सेनानियों का अपमान किया गया है। कांग्रेस ने साबित किया उसकी मानसिकता अभी भी आपातकाल जैसी है। सरकार आपातकाल का विरोध करने वालों से अब दुश्मनी निकाल रही है। इस बीच मीसा बंदियों ने कहा है कि पिछली बार भी गहलोत सरकार ने पेंशन बंद की थी तो हम कोर्ट गए थे। इस बार भी हम लोग कोर्ट जाएंगे।
आपको बताते चलें कि राजस्थान में 1120 मीसा बंदियों को 20 हजार रुपये का मासिक पेंशन मिलता था। इसके अलावा उन्हें चिकित्सा और यात्रा भत्ता भी दिया जा रहा था। मीसा बंदियों को वसुंधरा राजे की सरकार ने लोकतंत्र सेनानी का नाम दिया था।
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