कैसा है देश का रक्षा बजट, पिछली बार के मुकाबले कितनी हुई है बढ़ोतरी, जानें सबकुछ
रक्षा बजट में रेवेन्यू-एक्सपेंडिचर (राजस्व व्यय) यानि सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के अधीन सिविल कर्माचरियों की सैलरी और दूसरे खर्चों के लिए 2.27 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है.
चीन से चल रही तनातनी के बीच इस साल रक्षा बजट में सेनाओं के लिए हथियारों और दूसरे सैन्य-साजो सामान खरीदने के लिए कैपिटल-बजट में करीब 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. हालांकि, कुल रक्षा-बजट में पिछले साल के मुकाबले मामूली बढ़त हुई है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि इस बार पेंशन बजट में कमी आई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (जो पिछले कार्यकाल में रक्षा मंत्री के पद पर थीं) ने आम बजट पेश करते हुए रक्षा बजट का अपने भाषण में जिक्र नहीं किया. लेकिन बजट के जो दस्तावेज सामने आए हैं, उसके मुताबिक, इस बार का कुल रक्षा बजट करीब 4.78 लाख करोड़ है, जबकि पिछले साल यानि 2020-21 में ये 4.71 लाख करोड़ था. रक्षा बजट के 4.78 लाख करोड़ में 1.35 लाख करोड़ कैपटिल-बजट (पूंजीगत-व्यय) के लिए रखा गया है यानि सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के हथियार खऱीदने और दूसरे आधुनिकिकरण के लिए रखा गया है. जबकि वर्ष 2020-21 में कैपिटल बजट 1.13 लाख करोड़ था. कैपिटल बजट में इस साल सबसे ज्यादा हिस्सा वायुसेना को मिला है- करीब 53 हजार करोड़. जबकि थलसेना को मिला है 36 हजार करोड़ और नौसेना को 37 हजार करोड़.
रक्षा बजट में रेवेन्यू-एक्सपेंडिचर (राजस्व व्यय) यानि सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के अधीन सिविल कर्माचरियों की सैलरी और दूसरे खर्चों के लिए 2.27 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा बजट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारम का धन्यवाद देते हुए कहा है कि पिछले 15 सालों में ऐसा हुआ है कि सेनाओं के लिए कैपिटल-बजट में करीब 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
कुल रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी और सेनाओं के कैपिटल-बजट में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी इसलिए हुई है क्योंकि इस बार पेंशन बजट कम हो गया है. इस साल तीनों सेनाओं (और रक्षा मंत्रालय) का पेंशन बजट करीब 1.15 हजार करोड़ है. जबकि पिछले साल यानि 2020-21 में ये 1.33 लाख करोड़ था. ये काफी साल बाद ऐसा हुआ है कि सशस्त्र-सेनाओं का पेंशन-बजट कम हुआ है.
एक और चौकाने वाली बात इस बजट में जो सामने आई है, उसके मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष में तीनों सेनाओं ने करीब 20 हजार करोड़ की इमरजेंसी खरीददारी की थी. क्योंकि भले ही पिछले साल कैपिटल-बजट 1.13 लाख करोड़ था, लेकिन रिवाइज्ड-एस्टिमेट में ये 1.34 लाख करोड़ दिखाई पड़ता है. ये इसलिए है क्योंकि चीन से चल रहे टकराव के बीच सेनाओं ने अतिरिक्त विंटर-क्लोथिंग से लेकर असॉल्ट राइफल्स और बम और दूसरे सैन्य-साजो सामान खरीदे हैं. आपको बता दें कि पिछले बजट में सेनाओं की जरूरत के लिए इमरजेंसी-बजट का प्रावधान किया गया था.
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