मांझी का आरोप- केंद्रीय मंत्री सहित 5 सांसद फर्जी जाति प्रमाणपत्र से पहुंचे लोकसभा, इनका लिया नाम
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के सहयोगी जीतन राम मांझी ने बुधवार को आरोप लगाया कि एक केंद्रीय मंत्री सहित 5 सांसद फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे लोकसभा पहुंचे हैं। मांझी ने कहा है अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों से ये सभी फर्जी जाति प्रमाणपत्र के सहारे चुनाव लड़े। उन्होंने इस मामले की जांच की मांग की है।हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने कश्मीर में कई बिहारी सहित गरीब मजदूरों की हत्या पर आक्रोश जाहिर किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कश्मीर में शांति स्थापित करने के प्रयास कर रही है, लेकिन परिणाम दिखाई नहीं दे रहे हैं। देशभर में महाकाव्य रामायण के लेखक महर्षि वाल्मीकि को श्रद्धांजलि दिए जाने के बीच दलित नेता अपनी विवादास्पद टिप्पणी पर अड़े रहे कि भगवान राम एक काल्पनिक चरित्र थे। उन्होंने यह भी कहा कि संत राम से "हजारों गुना बड़े" थे। उन्होंने कहा, 'यह मेरा निजी विचार है और मैं किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता।''
पार्टी मीटिंग में भाषण के दौरान मांझी ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल और जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामीजी (दोनों बीजेपी सांसद), कांग्रेस सांसद मोहम्मद सादिक, टीएमसी सांसद अपरूपा पोद्दार और निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर चुनाव लड़े थे। हालांकि, इन सांसदों की ओर से अभी मांझी के आरोप पर प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इनमें से अधिकतर ने पहले इन आरोपों को नकारा है। बघेल के सहयोगियों ने जोर देकर कहा कि उनकी जाति उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के तौर पर दर्ज है, जहां से वह चुनाव जीते हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने राणा का जाति प्रमाणपत्र रद्द कर दिया था, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई जिसने जून में फैसले पर स्टे लगा दिया था। मांजी ने दावा किया कि नौकरियों और स्थानीय चुनावों में दलितों के लिए तय कोटे का 15 से 20 फीसदी लाभ फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे दूसरे लोग उठा लेते हैं। एचएएम अध्यक्ष ने पार्टी के सभी संगठनात्मक निकायों को भंग करने की घोषणा की और कहा कि उनका जल्द ही पुनर्गठन किया जाएगा।
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