जानिए, जम्मू-कश्मीर से धारा 144 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जम्मू-कश्मीर में धारा 144 हटाने की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामला संवेदनशील है, लिहाजा सरकार को इसमें और वक्त मिलना चाहिए। कोर्ट ने हालात में सुधार की उम्मीद करते हुए सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया है। जम्मू-कश्मीर को लेकर तहीसन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
जम्मू-कश्मीर में धारा 144 हटाने की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामला संवेदनशील है, लिहाजा सरकार को इसमें और वक्त मिलना चाहिए। कोर्ट ने हालात में सुधार की उम्मीद करते हुए सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया है। जम्मू-कश्मीर को लेकर तहीसन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने जम्मू-कश्मीर पर दखल देने से साफ इंकार कर दिया है। अदालत ने सरकार को हालात सामान्य होने के लिए वक्त दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि रातों-रात हालात सामन्य नहीं हो सकते। मामला संवेदनशील है, लिहाजा सरकार को इसमें और वक्त मिलना चाहिए। कोर्ट ने हालात में सुधार की उम्मीद करते हुए सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया है।
इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने बुरहान वानी वाली घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस घटना में 46 लोग मारे गए थे। कश्मीर में इस वक्त हालात नाज़ुक हैं और कुछ लोग केवल एक मौके का इंतजार कर रहे हैं। अदालत ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से पूछा कि स्थिति को सामान्य होने में कितना समय लगेगा। अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि केंद्र रोज़ाना स्थिति का जायज़ा ले रही है।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम.आर.शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया था। पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा था कि वे अनुच्छेद 370 के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। लेकिन वे चाहते हैं कि वहां से कर्फ्यू, पाबंदियां और फोन लाइन, इंटरनेट और समाचार चैनल अवरूद्ध करने सहित दूसरे कठोर उपाय वापस लिए जाएं।
तहसीन पूनावाला ने जम्मू-कश्मीर की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिए एक न्यायिक आयोग गठित करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने याचिका में दावा किया है कि केंद्र के फैसलों से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।
तहसीन की याचिका के अनुसार समूचे राज्य की एक तरह से घेराबंद कर दी गयी है और दैनिक आधार पर सेना की संख्या में वृद्धि करके इसे एक छावनी में तब्दील कर दिया गया है। जबकि संविधान संशोधन के खिलाफ वहां किसी प्रकार के संगठित या हिंसक विरोध के बारे में कोई खबर नहीं है।
तहसीन पूनावाला यह जानना चाहते हैं कि शीर्ष अदालत केंद्र और जम्मू-कश्मीर से पूछे कि किस अधिकार से उन्होंने पूर्व मुख्य मंत्रियों, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, पूर्व विधायकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने सहित इतने कठोर कदम उठाए हैं?
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