शहीद भगत सिंह महाविद्यालय में "हिन्दी विकासोत्सव 2019" का भव्य आयोजन, हिन्दी रचनाकारों की प्रस्तुति ने मोहा युवाओं का मन

राजधानी दिल्ली के शहीद भगत सिंह महाविद्यालय के प्रांगण में भी "हिन्दी विकासोत्सव 2019" नाम से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के प्राध्यापकों, अध्यापकों, पदाधिकारियों और छात्र-छात्राओं ने मिलकर कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया। पूरे महाविद्यालय में हर्षोल्लास का माहौल रहा। कार्यक्रम में पहुंचे कवियों और रचनाकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। हिन्दी साहित्य परिषद के तत्वधान में आयोजित इस कार्यक्रम के दृष्टि केंद्र बिंदु मशहूर गीतकार डॉ. सागर रहे।

शहीद भगत सिंह महाविद्यालय में
Pic of Programme Organised In Sahid Bhagat Singh College Delhi
शहीद भगत सिंह महाविद्यालय में

नई दिल्ली: भारत की पहचान है हिन्दी, अपने देश की शान है हिन्दी। और उसी हिन्दी के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में तमाम सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की ओर से समय-समय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए कोई हिन्दी दिवस मनाता है, कोई हिन्दी सप्ताह, तो कोई हिन्दी पखवाड़ा मनाता है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शहीद भगत सिंह महाविद्यालय के प्रांगण में भी "हिन्दी विकासोत्सव 2019" नाम से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

महाविद्यालय के प्राध्यापकों, अध्यापकों, पदाधिकारियों और छात्र-छात्राओं ने मिलकर कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया। पूरे महाविद्यालय में हर्षोल्लास का माहौल रहा। कार्यक्रम में पहुंचे कवियों और रचनाकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। 

हिन्दी साहित्य परिषद के तत्वधान में आयोजित इस कार्यक्रम के दृष्टि केंद्र बिंदु मशहूर गीतकार डॉ. सागर रहे। उन्होंने अपनी संघर्षमयी जीवन यात्रा के साथ-साथ फिल्मी जगत में पहुंचने तक के सफर को छात्रों के साथ साझा किया।

डॉ. सागर के बलिया के छोटे से गांव ककरी से बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय और फिर मुंबई तक पहुंचने का सफर बहुत ही दिलचस्प और प्रेरणादायक है। डॉ. सागर ने संवाद के ज़रिए मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी, शैलेन्द्र, मजरूह सुल्तानपुरी जैसे  बड़े कलमकारों के गीत लेखन और उनके पीछे की कहानियों से छात्रों को अवगत कराया।

महाविद्यालय में हिन्दी विभाग की वरिष्ठ अध्यापिका डॉ. विजयलता त्यागी ने सारगर्भित वक्तव्य से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया, इसके बाद परिषद के संयोजक डॉ. विंध्याचल मिश्र ने सागर के गीतों से छात्रों को रू-ब-रू कराया। इसके साथ ही कविता कितनी बड़ी विधा हैं, इसे यूं व्यक्त किया कि " तुम कहते हो ये महज एक कविता हैं, मैं खुद को रेशा-रेशा मुक्त करता हूँ"।

कार्यक्रम के समापन के लिए हिन्दी विभाग के अध्यापक डॉ. सतीश कुमार आए,उन्होंने अपनी एक कविता "आसान नहीं होता" सबके साथ साझा किया और कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सबका आभार व्यक्त किया।

आप सभी को बताते चलें कि एक भाषा के रूप में हिन्दी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। हिन्दी विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसे समझने, बोलने और पढ़ने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। हिन्दी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ-साथ 11राज्यों और 3 केन्द्र शासित प्रदेशों की भी राजभाषा है।