सशस्त्र बलों में खत्म भेदभाव, महिलाओं को NDA के जरिए मिलेगी एंट्री; सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सशस्त्र बल देश में एक बहुत ही सम्मानजनक बल हैं, लेकिन उन्हें बलों में लैंगिक समानता की दिशा में और अधिक करने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसे उम्मीद है कि रक्षा बल उस महत्वपूर्ण भूमिका को महत्व देंगे जो महिलाएं निभा रही हैं। इसपर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में लड़कियों को शामिल करने की अनुमति देने का फैसला कल लिया गया है। केंद्र का कहना है कि तीन सेना प्रमुखों से सलाह मशविरा करने के बाद यह फैसला लिया गया है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह जानकर बेहद खुशी हुई कि सशस्त्र बलों ने खुद महिलाओं को एनडीए में शामिल करने का निर्णय लिया है। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि केंद्र ने तीन सेवा प्रमुखों के साथ विचार-विमर्श के बाद कल यह फैसला किया। एएसजी भाटी ने कहा, "यह एक अच्छी खबर है। बलों और सरकार के उच्चतम स्तर पर निर्णय लिया गया है कि महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से स्थायी कमीशन के लिए शामिल किया जाएगा। यह निर्णय कल देर शाम लिया गया।"
पीठ ने कहा कि वह चाहती है कि रक्षा बल "लैंगिक समानता के प्रति अधिक सक्रिय दृष्टिकोण" अपनाएं, बजाय इसके कि अदालत उन्हें ऐसा करने का निर्देश दे।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, "हम समय-समय पर अधिकारियों को खुद ऐसा करने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। हमें विश्वास है कि वे नियम विकसित करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। यह हमारे लिए खुशी की स्थिति नहीं है। सशस्त्र बल इस देश की सम्मानित सेना हैं लेकिन लैंगिक समानता पर, उन्हें और अधिक करना होगा।''
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