नाजुक हालत के चलते भी लालू यादव को दिल्ली एम्स ने 24 घंटे के भीतर ही कर दिया डिस्चार्ज,मेडिकल रिपोर्ट पर उठ रहे हैं सवाल
चारा घोटाले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को दिल्ली एम्स ने 24 घंटे के भीतर ही डिस्चार्ज कर दिया है। उन्हें मंगलवार (22 मार्च 2022) को राँची स्थित रिम्स से यहाँ लाया गया था। उनकी हालत नाजुक बताई गई थी। डिस्चार्ज किए जाने के बाद उनके मेडिकल रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं।
चारा घोटाले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को दिल्ली एम्स ने 24 घंटे के भीतर ही डिस्चार्ज कर दिया है। उन्हें मंगलवार (22 मार्च 2022) को राँची स्थित रिम्स से यहाँ लाया गया था। उनकी हालत नाजुक बताई गई थी। डिस्चार्ज किए जाने के बाद उनके मेडिकल रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, राँची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में मेडिकल बोर्ड की बैठक में मंगलवार को ये तय हुआ था कि लालू यादव को दिल्ली रेफर किया जाए। वहाँ लालू यादव का क्रिएटनिन लेवल 4.1 से बढ़कर 4.6 हो गया था। इसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स के इमरजेंसी वार्ड में रखा गया। डॉक्टरों ने सेहत ठीक पाते हुए उन्हें सुबह तीन बजे ही छुट्टी दे दी और उन्हें रिम्स में अपना इलाज कराने को कहा।
न्यूज एजेंसी एएनआई भी सूत्रों के हवाले से बताया है, “राजद नेता लालू प्रसाद यादव कल रात करीब नौ बजे AIIMS पहुँचे। उन्हें निगरानी के लिए आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया था। बाद में डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें छुट्टी दे दी गई। वह कुछ समय तक विभिन्न टेस्ट के लिए निगरानी में रहेंगे।” रिपोर्ट के अनुसार उन्हें अब वापस रिम्स भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में सजायाफ्ता हैं। उन्होंने डोरंडा कोषागार से गलत तरीके से 139.5 करोड़ रुपए की अवैध निकासी मामले में सीबीआई कोर्ट ने पाँच साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा लालू पर 60 लाख रुपए का जुर्माना भी कोर्ट ने ठोका था। खराब स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें जेल से रिम्स में एडमिट किया गया था। 1996 में इस मामले में राँची के डोरंडा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
साल 1990–92 में डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी। CBI जाँच के मुताबिक इस केस में पशुओं को हरियाणा और दिल्ली से बाइक पर राँची तक ढोने की कहानी गढ़ी गई थी। इन पशुओं में सांड और भैंसे भी शामिल थे। इस जाँच में नेता और अफसर सभी शामिल पाए गए थे। दिल्ली और हरियाणा से इन पशुओं को बिहार लाने के पीछे अच्छी नस्ल के जानवर तैयार करना बताया गया था।
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