तालाबंदी कितनी हटे ?
सरकारों को यह भी देखना होगा कि यह तालाबंदी कहीं कोरोना से भी ज्यादा जानलेवा सिद्ध न हो जाए। इसीलिए बेहतर होगा कि सरकारें और आम जनता अतिवाद से बचे। मध्यम मार्ग अपनाए। अभी मुश्किल से दो दर्जन जिले सारे देश में ऐसे कोरोनाग्रस्त है, जिनमें पूर्ण कर्फ्यू लगाया जा सकता है। उनमें आना-जाना बिल्कुल बंद हो। लगभग 200 जिलों को आंशिक रुप से खोला जा सकता है और 400 जिले ऐसे हैं, जिनमें नागरिक सारी सावधानियां बरतते हुए अत्यंत अनिवार्य और अपरिहार्य काम करें।
सभी लोग यह सोच रहे हैं कि 15 अप्रैल से तालाबंदी उठेगी या नहीं ? इस सवाल का जवाब हां या ना में, दोनों ही ठीक नहीं होगा। क्योंकि यह जारी रहती है तो देश के 60-70 करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएंगे। वे अपनी रोजी-रोटी को तरस जाएंगे। सरकारें और समाजसेवी संस्थाएं उन्हें घर बैठे-बैठे कब तक खिला सकती हैं ? अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं का कहना है कि भारत की सकल विकास दर 5 प्रतिशत से गिरकर 2 प्रतिशत तक हो सकती है। खेती, कल-कारखानों और व्यापार को जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई में बरसों बीत जाएंगे।
निराशा, उदासीनता और अंधकारमय भविष्य के डर से नागरिकों में जो मानसिक बीमारियां फैलेंगी, उनके कारण अपराधों में अपूर्व वृद्धि हो सकती है। तो क्या करें ? क्या तालाबंदी एकदम उठा ली जाए ? यह अब तक शायद उठा ली जाती लेकिन जमाते-तबलीगी की मेहरबानी से कोरोना अब गांव-गांव तक फैल गया है। जिस बीमारी ने शुरु में सिर्फ विदेश-यात्रियों और उनके निकट लोगों को छुआ था, वह अब रिक्शावालों, रेहड़ीवालों और झोपड़पट्टीवालों तक फैल गई है। कुछ अकड़ और कुछ गलतफहमी के शिकार जमाती अब भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं। डर यही है कि यदि सरकारें तालाबंदी एकदम हटा लें तो कहीं भारत में भी इटली और अमेरिका-जैसा विस्फोट न हो जाए
लेकिन सरकारों को यह भी देखना होगा कि यह तालाबंदी कहीं कोरोना से भी ज्यादा जानलेवा सिद्ध न हो जाए। इसीलिए बेहतर होगा कि सरकारें और आम जनता अतिवाद से बचे। मध्यम मार्ग अपनाए। अभी मुश्किल से दो दर्जन जिले सारे देश में ऐसे कोरोनाग्रस्त है, जिनमें पूर्ण कर्फ्यू लगाया जा सकता है। उनमें आना-जाना बिल्कुल बंद हो। लगभग 200 जिलों को आंशिक रुप से खोला जा सकता है और 400 जिले ऐसे हैं, जिनमें नागरिक सारी सावधानियां बरतते हुए अत्यंत अनिवार्य और अपरिहार्य काम करें। कोरोना की जांच राजस्थान के भीलवाड़ा-जैसी हो और सरकारी सख्ती दिल्ली-जैसी हो। लोगों की जांच के बाद उन्हें अपने गांवों तक यात्रा के लिए खतरा भी मोल लिया जा सकता है ? शिविरों में पड़े लोग बेहद परेशान हैं और वहां संक्रमण का खतरा ज्यादा है लेकिन गांव पहुंचकर कोरोना हो गया तो फिर क्या होगा, यह भी बड़ा सवाल है।
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