Corona Update : देशव्यापी लॉकडाउन के बीच आम लोगों को मिली बड़ी राहत,अब 25 फीसदी कम देना होगा टीडीएस, इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की मियाद भी बढ़ी
केंद्र सरकार ने वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज के तहत नॉन-सैलरीड इनकम पर लगने वाले टीडीअस भुगतान में 25 फीसदी छूट देने का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका ऐलान करते हुए कहा कि इस कदम से करदाताओं के पास अधिक फंड उपलब्ध हो सकेगा। वित्त मंत्री ने कहा, 'हमारा मानना है कि इससे 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी मिल सकेगी।
केंद्र सरकार ने वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज के तहत नॉन-सैलरीड इनकम पर लगने वाले टीडीअस भुगतान में 25 फीसदी छूट देने का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका ऐलान करते हुए कहा कि इस कदम से करदाताओं के पास अधिक फंड उपलब्ध हो सकेगा। वित्त मंत्री ने कहा, 'हमारा मानना है कि इससे 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी मिल सकेगी। इस छूट के नहीं मिलने से नॉन-सैलरीड इनकम पर लगने वाले टैक्स के जरिए उन्हें 50,000 करोड़ रुपये देना पड़ता।'
केंद्र सरकार के इस कदम से कॉन्ट्रैक्ट के लिए पेमेंट, प्रोफेशनल्स फीस, ब्याज, किराया, डिविडेंड, कमीशन और ब्रोकरेज इनकम वाले लोगों को लाभ मिल सकेगा। टीडीएस दरों में यह कटौती 14 मई से लागू कर दी जाएगी और पूरे वित्त वर्ष के लिए लागू रहेगी। इसके अलावा टैक्स के मोर्चे पर सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों को बड़ी राहत दी है।
2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी जाएगी। अभी एसेसमेंट इयर के लिए 31 जुलाई 2020 रिटर्न भरने की आखिरी तारीख है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विवाद से विश्वास स्कीम के तहत जिन कंपनियों के टैक्स विवाद के चलते बाकी हैं,वह 31 दिसंबर 2020 तक बिना किसी ब्याज के टैक्स दे सकती हैं। मार्च 2021 तक टीडीएस-टीसीएस की दरों में 25 फीसदी की कटौती होगी।
दरअसल, टीडीएस इनकम टैक्स का एक हिस्सा है। इसका मतलब होता है 'टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स। यह इनकम टैक्स को आंकने का एक तरीका है। इनकम टैक्स से टीडीएस ज्यादा होने पर रिफंड क्लेम किया जाता है और कम होने पर एडवांस टैक्स या सेल्फ असेसमेंट टैक्स जमा करना होता है। कंपनी के केस में अगर टैक्सेबल इनकम पर देय टैक्स बुक प्रॉफिट के 15 फीसदी से कम है तो बुक प्रॉफिट को इनकम मानकर 15 फीसदी इनकम टैक्स देना होगा।
टीडीएस हर किसी लेन-देन पर लागू नहीं होता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप भारतीय हैं और आपने डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया तो इस पर जो आय प्राप्त हुई उस पर कोई टीडीएस नहीं चुकाना होगा। लेकिन अगर आप अप्रवासी भारतीय हैं तो इस फंड से हुई आय पर आपको टीडीएस देना होगा। जो पेमेंट कर रहा है टीडीएस सरकार के खाते में जमा करने की जिम्मेदारी भी उसकी होगी। टीडीएस काटने वालों को डिडक्टर कहा जाता है। वहीं,जिसे टैक्स काट के पेमेंट मिलती है उसे डिडक्टी कहते हैं।
फार्म 26AS एक टैक्स स्टेटमेंट है जिसमें यह दिखाया जाता है कि काटा गया टैक्स और व्यक्ति के नाम या पैन में जमा किया गया है। हर डिडक्टर को टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करके ये बताना भी जरूरी है कि उसने कितना टीडीएस काटा और सरकार को जमा किया। कोई भी संस्थान जो टीडीएस के दायरे में आता है वह जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है। जिससे टैक्स लिया गया है उसे भी टीडीएस कटने का सर्टिफिकेट जरूर लेना चाहिए। डिडक्टी अपने चुकाए गए टैक्स का टीडीएस क्लेम कर सकता है। हालांकि उसी फाइनेंशियल ईयर में क्लेम करना पड़ेगा।
एक तय रकम से ज्यादा भुगतान पर ही टीडीएस कटता है। विभिन्न तरह की आय सीमा पर टीडीएस कटता है आयकर विभाग ने सैलरी, ब्याज आदि पर टीडीएस काटने के कुछ नियम तय किये हैं जैसे कि एक साल में एफडी से अगर 10 हजार से कम ब्याज मिलता है तो आपको उस पर टीडीएस नहीं चुकाना पड़ेगा। अगर एक वित्तीय वर्ष में व्यक्ति की आय इनकम टैक्स छूट की सीमा से नीचे है तो वह अपने नियोक्ता से टीडीएस फार्म 15 G/15H भरके टीडीएस नहीं काटने के लिए कह सकता है।
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