चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद पर हुई थी करीब 500 मीटर की ऊंचाई से हार्ड लैंडिंग,केंद्र सरकार ने संसद में दिया लिखित जवाब
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। वजह यह कि तय पैरामीटरों के हिसाब से लैंडर विक्रम का वेग कम नहीं हो पाया था और चांद के सतह से करीब 500 मीटर की ऊंचाई से विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की। केंद्र सरकार ने संसद में इसकी जानकारी दी। विक्रम को 7 सितंबर को चांद के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, लेकिन इसमें वह नाकाम रहा था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा भेजे गए चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। वजह यह कि तय पैरामीटरों के हिसाब से लैंडर विक्रम का वेग कम नहीं हो पाया था और चांद के सतह से करीब 500 मीटर की ऊंचाई से विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की। केंद्र सरकार ने संसद में इसकी जानकारी दी। विक्रम को 7 सितंबर को चांद के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, लेकिन इसमें वह नाकाम रहा था। विक्रम का अब तक कोई पता भी नहीं चला है।
लोकसभा में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया, ‘‘लैंडिंग कराए जाने के पहले फेज में विक्रम के चंद्रमा से 30 किमी से 7.4 किमी ऊंचाई पर आने तक सबकुछ सामान्य था। इस दौरान विक्रम का वेग भी 1683 मीटर प्रति सेकंड से घटकर 146 मीटर प्रति सेकंड आ गया था।’’
अंतरिक्ष विभाग के मंत्री जिदेंद्र सिंह ने बताया, ‘‘दूसरे चरण के दौरान विक्रम का वेग तयशुदा सीमा से कहीं ज्यादा था। लैंडर के इस असामान्य व्यवहार के चलते उन परिस्थितियों में बदलाव आया, जिसके तहत सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी। नतीजतन चांद से महज 500 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद विक्रम की हार्ड लैंडिंग हो गई।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बात को छोड़ दें तो चंद्रयान की लॉन्चिंग, उसका ऑर्बिट (कक्षा) बदलना, लैंडर का ऑर्बिटर से अलग होना, डी-बूस्टिंग जैसी कई चीजों में हमें सफलता मिली।’’ ‘‘चंद्रयान-2 ने ऑर्बिट में पहुंचने के बाद सभी 8 चरणों में उसमें मौजूद डेटा के हिसाब से ही काम किया। हमने जिस तरह से लॉन्चिंग की और चंद्रयान-2 ने ऑर्बिट बदले, उससे मिशन की लाइफ 7 साल तक बढ़ गई है।’’
गौरतलब है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 27 सितंबर को चंद्रयान-2 पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया था कि चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई। एजेंसी ने उस जगह की कुछ तस्वीरें भी जारी कीं, जहां विक्रम की लैंडिंग होनी थी। हालांकि, विक्रम कहां गिरा, इस बारे में पता नहीं चला पाया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद पर रात हो चुकी है, इसके चलते ज्यादातर सतह पर सिर्फ परछाइयां ही दिखाई दे रही हैं। ऐसे में हो सकता है कि लैंडर किसी परछाई में छिप गया हो।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 7 सितंबर को बताया था कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। विक्रम 2 सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग हुआ था। इस मिशन को 22 जुलाई को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
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