बंगाल में ममता को टेंशन देती रहेगी BJP, 4 मंत्री बनाकर साधा बड़ा गणित
पश्चिम बंगाल में भले ही विधानसभा चुनाव समाप्त हो गए हैं, लेकिन बीजेपी की ओर से सीएम ममता बनर्जी को घेरने की कोशिशें लगातार जारी हैं। पार्टी की ओर से राज्य के उन तबकों के वोटबैंक पर फोकस किया जा रहा है, जो अब तक उपेक्षित माने जाते रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट के विस्तार में बंगाल से शामिल किए गए 4 मंत्रियों में भी इसकी झलक दिखती है। इन 4 मंत्रियों में से 3 पिछड़े समुदाय के हैं, जो पश्चिम बंगाल में अच्छी खासी भागीदारी रखते हैं। शांतनु ठाकुर मतुआ दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका परिवार बांग्लादेश से पलायन कर भारत आया था। इसके अलावा कूचबिहार के सांसद निसिथ प्रामाणिक राजबंशी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
नए बने मंत्री जॉन बार्ला तो आदिवासी समुदाय से आते हैं और उत्तर बंगाल में पकड़ रखते हैं। अकसर चाय बागान मजदूरों के मुद्दे उठाने वाले बार्ला 14 साल की उम्र से ही चाय मजदूर के तौर पर काम करने लगे थे। उत्तर बंगाल में बीजेपी के विस्तार में उनका अहम योगदान माना जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर इस साल हुए विधानसभा चुनाव तक में इस क्षेत्र में बीजेपी को अच्छी सफलता मिली है। मोदी कैबिनेट में बंगाल से इन मंत्रियों को जगह देकर भाजपा ने एक बार फिर से ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ा दी है। इन्हें मंत्री बनाकर भाजपा ने बंगाल में जातीय समीकरण को साधा है।
बार्ला के पास चाय बागान श्रमिकों का स्ट्रांग सपोर्ट: गौरतलब है कि जॉन बार्ला ने लगभग दो दशक पहले तराई-दूआर्स क्षेत्र में एक चाय-बागान कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी। आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले बार्ला का क्षेत्र के चाय बागान श्रमिकों के बीच स्ट्रांग सपोर्ट बेस है। 2007 में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हुए, उनके संगठनात्मक कौशल ने माकपा का ध्यान खींचा। अल्पसंख्यक मामलों में कनिष्ठ मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, बार्ला ने कहा, “मैं उत्तर बंगाल के लोगों के लिए कड़ी मेहनत करूंगा। मुझे खुशी है कि मैं उत्तर बंगाल में चाय बागान श्रमिकों के लिए काम कर पाऊंगा।
कैबिनेट में शांतनु ठाकुर, सरकार का मास्टरस्ट्रोक: बोंगांव के सांसद शांतनु ठाकुर ने बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग के कनिष्ठ मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है। वह मतुआ ठाकुरबाड़ी के है। ये समुदाय का मुख्यालय और धार्मिक केंद्र है। वह मतुआ मातृसत्ता बोरो मां के पोते हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो ठाकुर को कैबिनेट में शामिल करना एक मास्टरस्ट्रोक है। 2.5 करोड़ से अधिक की अनुमानित आबादी वाले इस समुदाय का उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर में बहुत प्रभाव है।
तृणमूल के मजबूत नेता रहे प्रमाणिक: वहीं कूचबिहार के सांसद निसिथ प्रमाणिक मंत्रालय में सबसे कम उम्र के हैं और उत्तर बंगाल में एक अन्य अल्पसंख्यक समुदाय राजबंशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह गृह, युवा और खेल मंत्री हैं। उन्होंने कहा, "मैं अमित शाह के मार्गदर्शन में काम करने के लिए उत्सुक हूं और उम्मीद करता हूं कि हम साथ मिलकर पीएम मोदी के विकास कार्यों को आगे बढ़ा सकते हैं।" बता दें कि प्रमाणिक को चुना जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि वह तृणमूल के मजबूत नेता थे और उनका नाम हथियारों की तस्करी से संबंधित कई आरोपों से जुड़ा था। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी तृणमूल में उनकी वापसी को रोकने में कामयाब रही है।
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