परमाणु बमः शाब्दिक बल्लेबाजी
सरकार ने तो विधिवत कोई पुनर्विचार नहीं किया लेकिन पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 2016 में यह जरुर कह दिया था कि पता नहीं हम यह क्यों कहते रहते हैं कि हम अपने परमाणु शस्त्रों का प्रयोग आगे होकर नहीं करेंगे। शायद उन्हें भारतीय परमाणु-सिद्धांत का पता नहीं होगा। बाद में उन्होंने उसे अपनी व्यक्तिगत राय बताकर टाल दिया। लेकिन अब राजनाथसिंह ने इसी मुद्दे को बड़ी तरकीब से दुबारा उठा दिया है। यह कूटनीति की कूटनीति है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के परमाणु शस्त्रास्त्रों के इस्तेमाल के बारे में ऐसा बयान दे दिया है, जिस पर दुनिया के सभी देशों का ध्यान जाए बिना नहीं रहेगा, खासतौर से पाकिस्तान का। उन्होंने कहा है कि भारत अपनी ‘पहल न करने’ की नीति पर पुनर्विचार भी कर सकता है। परमाणु-विस्फोट के बाद प्र.म. अटलबिहारी वाजपेयी ने घोषणा की थी कि भारत आगे होकर कभी परमाणु बम का प्रयोग नहीं करेगा याने उस पर यदि किसी राष्ट्र ने परमाणु-आक्रमण किया तो ही वह उस पर जवाबी हमला करेगा।
अब राजनाथजी ने कहा है कि परिस्थितियां काफी बदल गई हैं। जरुरी नहीं है कि जिस परमाणु सिद्धांत का पालन 1998 से अब तक होता रहा है, उसका भविष्य में भी होता रहे। यह उन्होंने अटलजी की पुण्य-तिथि के अवसर पर पोखरण-यात्रा करने के बाद कहा। कुछ लोग उनके इस ‘गहरे बयान’ को सुरक्षा-परिषद में हुई कश्मीर की अनौपचारिक चर्चा से भी जोड़कर देख रहे हैं। दूसरे शब्दों में इसे वे पाकिस्तान और चीन को दी गई चेतावनी भी बता रहे हैं। लेकिन वे शायद यह भूल रहे हैं कि 2014 के संसदीय चुनाव में भाजपा ने जो घोषणा-पत्र जारी किया था, उसमें साफ-साफ कहा गया था कि भाजपा की सरकार अपने परमाणु-सिद्धांत पर पुनर्विचार करेगी। सरकार ने तो विधिवत कोई पुनर्विचार नहीं किया लेकिन पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 2016 में यह जरुर कह दिया था कि पता नहीं हम यह क्यों कहते रहते हैं कि हम अपने परमाणु शस्त्रों का प्रयोग आगे होकर नहीं करेंगे। शायद उन्हें भारतीय परमाणु-सिद्धांत का पता नहीं होगा। बाद में उन्होंने उसे अपनी व्यक्तिगत राय बताकर टाल दिया। लेकिन अब राजनाथसिंह ने इसी मुद्दे को बड़ी तरकीब से दुबारा उठा दिया है। यह कूटनीति की कूटनीति है।
उनका यह बयान पाकिस्तान के उन सब नादान नेताओं का जवाब है, जो आए दिन ऐलान करते रहते हैं कि भारत यह न भूले कि पाकिस्तान के पास परमाणु बम हैं। ऐसी नादानी भारत के भी कुछ नादान नेता और कार्यकर्त्ता करते रहते हैं। इन नादानियों से बचकर राजनाथसिंह ने इस अदा से वही बात कह दी है कि जिससे आप असहमत हो सकते हैं लेकिन जिस पर आप आपत्ति नहीं कर सकते। सच्चाई तो यह है कि चीन ने 1964 में परमाणु-बम बनाते ही उसका पहले उपयोग न करने की घोषणा कर दी थी। तो भारत उसके खिलाफ अपना बम क्यों उपयोग करेगा और पाकिस्तान के खिलाफ भी उसे अपने बम का पहले उपयोग इसलिए नहीं करना होगा कि उसकी पारंपरिक सैन्य शक्ति पाकिस्तान से कई गुना ज्यादा है। इसीलिए राजनाथजी का कथन भारत की किसी आनेवाली नई परमाणु नीति का संकेत नहीं है बल्कि शुद्ध शाब्दिक बल्लेबाजी है। इसीलिए पाकिस्तानी नेताओं की बौखलाहट बेमानी है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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