बिहार में 7 लाख की एंबुलेंस को 21 लाख में खरीदा, स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में हुआ स्कैम
बिहार में कोरोना वायरस ने स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत सामने लाकर रख दी है। सरकार के तमाम दावों के बीच राज्य के लोग एंबुलेंस के लिए दर-दर भटकते हुए दिखाई दिए। इसी बीच एक और एंबुलेंस घोटाला सामने आया है। ये घोटाला सीवान जिले में हुआ है। यहां कीमत सात लाख की एंबुलेंस को 21 लाख में खरीदने का मामले सामने आया है। वहीं हैरानी की बात ये है कि इनका आज तक इस्तेमाल नहीं हुआ। बता दें कि सीवान बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का गृह जिला है।
मामले के तूल पकड़ने पर डीएम अमित कुमार पांडेय ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। जांच पूरी होने के बाद कमेटी द्वारा सौंपे गए प्रतिवेदन के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। डीएम द्वारा जांच कमेटी के गठन के बाद से कई नेताओं और पदाधिकारियों में खलबली देखी जा रही है। दरअसल शिकायतकर्ता पूर्व राज्य मंत्री विक्रम कुंवर ने इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री, निगरानी विभाग के प्रधान सचिव, योजना एवं विकास के सचिव और जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर दी थी।
पूर्व मंत्री ने पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि जिला योजना पदाधिकारी की मिलीभगत से सात लाख की एंबुलेंस की खरीदारी तीन गुने मूल्य से भी अधिक यानी 21 लाख 84 लाख 623 रुपये में की गई है। वहीं सदर अस्पताल प्रबंधन ने दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज में भेजी गईं सभी पांच एंबुलेंस को संचालन में असमर्थता बताते हुए वापस लौटा दिया है। अस्पताल प्रबंधन के इस निर्णय से एंबुलेंस खरीद मामला थमने की बजाए सुर्खियों में आ गया है।
कुल नौ एंबुलेंस की हुई खरीददारी
जिला योजना पदाधिकारी की सहमति से अबतक कुल नौ रोगी एंबुलेंस की खरीददारी गई है। इसमें सदर के पूर्व विधायक व्यासदेव प्रसाद की अनुसंशा से तीन, जीरादेई विधानसभा के पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा की अनुशंसा पर कुल दो व एमएलसी टुन्ना पांडेय की अनुसंशा पर कुल चार एंबुलेंस खरीदी गई हैं। जिला योजना पदाधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि कई विधायकों के मद में पर्याप्त रुपये न होने की वजह से फिलहाल एंबुलेंस की खरीदारी नहीं हो सकी है। उन्होंने बताया कि एक एंबुलेंस की खरीददारी लगभग 19 लाख रुपये में हुई है।
जेम पोर्टल से करनी थी खरीददारी
एंबुलेंसों की खरीददारी मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिले के विधायकों की अनुशंसा पर जिला योजना पदाधिकारी की सहमति से की गई है। आगे जिक्र करते हुए लिखा था कि सचिव योजना एवं विकास विभाग का पत्रांक 1149 दिनांक 13/03/2020 तथा पत्रांक 5168 दिनांक 18/11/2019 के आलोक में जेम पोर्टल से खरीददारी नहीं की गई है क्योंकि गड़बड़ी करने की नीयत थी। इसको लेकर भी जांच की जा रही है।
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