क्या सिर्फ सख्त कानून बनाने से बाल यौन अपराध पर अंकुश लग पायेगा ?
सिर्फ कानून में संशोधनों से समस्या नहीं सुलझेगी। निर्भया कांड के बाद नए कानून बनाए गए लेकिन थमने के बजाय अपराध बढ़ गये। मानवता का गिरता हुआ चेहरा नजर आ रहा है और कानून के प्रति लोगों का डर समाप्त होता जा रहा है।
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 पर सदन में चर्चा के दौरान सदस्यों ने बाल यौन अपराध पर अपनी चिंताएं जतायी। इस मामले पर सपा सांसद जया बच्चन ने कहा कि "सिर्फ कानून में संशोधनों से समस्या नहीं सुलझेगी। निर्भया कांड के बाद नए कानून बनाए गए लेकिन थमने के बजाय अपराध बढ़ गये। मानवता का गिरता हुआ चेहरा नजर आ रहा है और कानून के प्रति लोगों का डर समाप्त होता जा रहा है।"
बच्चन यहीं नहीं रुकी और कहा कि "यह माता-पिता का दायित्व है कि अगर कोई चीज आपत्तिजनक है तो वे टीवी या अन्य उपकरण बंद करें। गलती करने वाला किसी भी आयुवर्ग का हो, उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए। अपराधियों को मृत्युदंड देने के बदले जिंदा रखकर परेशान किया जाना चाहिए। उसे इतनी तकलीफ दी जानी चाहिए कि दूसरे के मन में डर पैदा हो सके।"
वहीँ कांग्रेस के विवेक के तनखा ने कहा कि "अभी बेटियों को घर से बाहर भेजने में डर लगता है। सिर्फ कानून बनाने से समस्या समाप्त नहीं होगी और कई अन्य जरूरी कदम उठाए जाने की भी जरूरत है। बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ा विषय है।"
बता दें कि महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस विधेयक को राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा था इस विधेयक में बच्चों के साथ यौन अपराध के मामले में दोषी को मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है। विधेयक में अश्लील प्रयोजनों की खातिर बच्चों के उपयोग (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) पर नियंत्रण के लिए भी प्रावधान किया गया है।
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