तीन तलाक विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का नहीं बल्कि 'नारी सम्मान और न्याय’ का सवाल - रवि शंकर
तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए।
‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ को चर्चा एवं पारित करने के लिये विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर ने लोकसभा में पेश किया गया जिसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा करने और उनके पतियों द्वारा तीन बार तलाक बोलकर विवाह तोड़ने को निषेध करने का प्रावधान किया गया है। इस मामले में विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि "तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि "संविधान के मूल में लैंगिक न्याय है और महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव को निषेध किया गया है। मोदी सरकार के मूल में भी लैंगिक न्याय है। हमारी योजनाएं जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, उज्जवला योजना महिलाओं को सशक्त बनाने से जुड़ी हैं। इसी दिशा में पीड़ित महिलाओं की संरक्षा के लिये हम कानून बनाने की पहल कर रहे हैं।"
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