ज़हर के सौदागार हैं, ये लोग !
ऊपर से देखने पर जो बिल्कुल दूध-जैसा ही लगता है, वह तरल पदार्थ धीमे जहर से कम नहीं है। आश्चर्य है कि इन जहर के सौदागरों की काली करतूत पर हमारे बड़े अखबारों और टीवी चैनलों ने खास ध्यान नहीं दिया। अभी तक ऐसे प्रच्छन्न हत्यारों के लिए जो सजा का कानून है, वह भी शुद्ध मजाक है। सिर्फ 3 माह की सजा और 10 हजार रु. जुर्माना। जो हजारों रु. रोज कमाता है, उसे सरकारी खर्चे पर तीन माह की मौज करानेवाले कानून को एकदम कूड़े की टोकरी के हवाले किया जाना चाहिए।
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मध्यप्रदेश की सरकार एक ऐसा काम कर रही है, जिसका अनुकरण देश की सभी सरकारों को करना चाहिए और केंद्रीय सरकार को इस मामले में विशेष पहल करनी चाहिए । मप्र में मुख्यमंत्री कमलनाथ की कांग्रेस सरकार जैसे-तैसे चल रही है लेकिन इस जैसी-तैसी सरकार ने मिलावटखोरों की ऐसी-तैसी कर दी है। पिछले डेढ़ दो हफ्तों से उसने विभिन्न शहरों, कस्बों और गांवों में छापे मारे हैं और दूध में मिलावट करनेवाले दो व्यापारियों को पकड़ा है। इन लोगों के कारखाने में कास्टिक सोडा, यूरिया आदि कई घातक पदार्थों की बोरियां पकड़ी गई हैं। इनके दूध की जांच करने पर पता चला है कि उसमें घातक बीमारियां पैदा करनेवाले रसायन मिले हुए हैं। ऊपर से देखने पर जो बिल्कुल दूध-जैसा ही लगता है, वह तरल पदार्थ धीमे जहर से कम नहीं है। आश्चर्य है कि इन जहर के सौदागरों की काली करतूत पर हमारे बड़े अखबारों और टीवी चैनलों ने खास ध्यान नहीं दिया। अभी तक ऐसे प्रच्छन्न हत्यारों के लिए जो सजा का कानून है, वह भी शुद्ध मजाक है। सिर्फ 3 माह की सजा और 10 हजार रु. जुर्माना। जो हजारों रु. रोज कमाता है, उसे सरकारी खर्चे पर तीन माह की मौज करानेवाले कानून को एकदम कूड़े की टोकरी के हवाले किया जाना चाहिए।
मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ और लोक-स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को बधाई कि उन्होंने इन मिलावटी हत्यारों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया है। जाहिर है कि अब ये हत्यारे अपना जहरीला कारोबार बंद कर देंगे लेकिन यह गिरफ्तारी देश भर के उन हजारों मिलावटखोरों पर तभी असर करेगी जबकि इनमें से गंभीर अपराधियों को उम्र-कैद और मौत की सजा तक दी जाए और उनकी चल-अचल संपत्ति जब्त की जाए। यों इनकी न्यूनतम सजा 10 साल और हर्जाना 10 लाख रु. किया जाए। इस सजा का विज्ञापन भी जबर्दस्त होना चाहिए और सजा-ए-मौत जेल के अंदर नहीं, बल्कि सबसे व्यस्त शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर दी जानी चाहिए। मिलावटखोर साधारण हत्यारा नहीं होता, वह सामूहिक हत्यारा होता है। मप्र ने बच्चों के साथ बलात्कार करनेवालों के लिए मौत की सजा का कानून बना दिया है तो वह इन सामूहिक हत्यारों के लिए सख्त कानून बनाकर सारे देश का मार्गदर्शन क्यों नहीं करती ?
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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