NTPC पर पॉवर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण में अनियमितता बरतने का आरोप,पीड़ित किसान पहुंचे कोर्ट,सर्किल रेट का चार गुना मांगा मुआवजा,एनटीपीसी ने पूरे मामले से झाड़ा पल्ला
एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण को लेकर विवादों में आ गई है। एनटीपीसी पर जमीन अधिग्रहण में अनियमितता बरतने का आरोप लग रहा है। दरअसल, कानपुर नगर के बिल्हौर थाना इलाके के गांव डोंडवा जमौली में एनटीपीसी ने एक पावर प्लांट लगाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। लेकिन इस अधिग्रहण में एक बड़े घोटाले का आरोप लग रहा है। मामला इलाहाबाद हाइकोर्ट में है और एनटीपीसी से इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए सारी जिम्मेदारी कानपुर नगर प्रशासन पर डाल दी है।
देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण को लेकर विवादों में आ गई है। एनटीपीसी पर जमीन अधिग्रहण में अनियमितता बरतने का आरोप लग रहा है। दरअसल, कानपुर नगर के बिल्हौर थाना इलाके के गांव डोंडवा जमौली में एनटीपीसी ने एक पावर प्लांट लगाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। लेकिन इस अधिग्रहण में एक बड़े घोटाले का आरोप लग रहा है। मामला इलाहाबाद हाइकोर्ट में है और एनटीपीसी से इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए सारी जिम्मेदारी कानपुर नगर प्रशासन पर डाल दी है।
वास्तव में एनटीपीसी ने जब गांव डोंडवा जमौली में पावर प्लांट लगाने का ऐलान किया तो आसपास इलाके की किस्मत बदल गई। साल 2012 में जमीन का अधिग्रहण किया गया,जिसका मुआवजा साल 2015 में मिलना शुरू हुआ। लेकिन साल 2013 में ही जमीन अधिग्रहण का नया कानून संसद में पारित हो गया और साल 2014 में इसके लागू होते ही पुराना कानून खत्म हो गया।
अब नए कानून के मुताबिक किसानों को सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब सवाल इस बात का उठता है कि आखिर इस चार गुना मुआवजे की रकम कहां चली गई। एनटीपीसी के किसी अधिकारी का इस बाबत कोई भी प्रतिक्रया सामने नहीं आई है।
गौरतलब है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इसी साल मार्च के महीने में साफ तौर पर कहा है कि अगर भूमि अधिग्रहण कानून के लागू होने की तारीख यानी 1 जनवरी 2014 तक अधिग्रहित जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया है,तो अधिग्रहण की प्रक्रिया खत्म नहीं होगी और उन मामलों में जमीन के मालिक को मुआवजा नए कानून के मुताबिक मिलेगा। जबकि इस गांव के किसानों को मुआवजा साल 2015 से ही मिलना शुरू हुआ है। इस पूरे मामले को लेकर इलाके के कुल 17 किसान इलाहाबाद हाइकोर्ट गए हैं,जिनमें से अब तीन ने सरेंडर कर दिया है और 14 किसान अभी भी नए कानून के तहत मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि एनटीपीसी ने डोडवा जमौली, मदाराराय गुमान, उत्तरी आदि गांवों की करीब चार सौ हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करीब नौ साल पहले किया गया था। तब यहां पर 1320 मेगावाट के सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। इस प्लांट के लिए कोल ब्लाक का आवंटन भी हो चुका था। लेकिन लंबे समय तक केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी नहीं मिली और निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ सका और अब इसे लेकर विवाद हो रहा है।
आपको बताते चलें कि पॉवर प्लांट निर्माण के लिए कई वर्षों तक जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी रही। मुआवजा राशि के निर्धारण को लेकर पेंच फंसता रहा और आखिरकार पावर प्लॉट ठंडे बस्ते में चला गया और उसकी जगह सोलर पलॉट लगाने का निर्णय लिया गया। पर सवाल एर बार फिर से वही कि आखिर इस चार गुना मुआवजे की रकम कहां चली गई? साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की ओर से आगे क्या कार्रवाई की जाएगी?
Comments (0)