सेना में शामिल होकर देश सेवा करेंगी शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल की पत्नी निकिता कौल,कहा-पति के प्रति उनकी यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि
देश के नाम कुर्बान शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल की पत्नी निकिता कौल अब भारतीय सेना से जुड़कर देश की सेवा करेंगी। 28 वर्षीय निकिता कौल भारतीय सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में पिछले साल 18 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद जैश के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेजर विभूति शहीद हो गए थे।
देश के नाम कुर्बान शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल की पत्नी निकिता कौल अब भारतीय सेना से जुड़कर देश की सेवा करेंगी। 28 वर्षीय निकिता कौल भारतीय सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में पिछले साल 18 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद जैश के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेजर विभूति शहीद हो गए थे।
मूल रूप से कश्मीर की रहने वालीं निकिता कौल ने एसएसी यानी शॉर्ट सेलेक्शन कमिशन की परीक्षा के साथ-साथ इंटरव्यू भी पास कर लिया है। वह मेरिट लिस्ट के जारी होने का इंतजार कर रही हैं। इसके बाद वह कैडेट के तौर पर सेना में शामिल होंगी। निकिता का कहना है कि अपने शहीद पति के प्रति यह उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी और उनके करीब खुद को रखने का रास्ता।
निकिता कौल फिलहाल दिल्ली में अपने परिवार के के साथ रहती हैं और एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं। वह अपने पति की तरह एक अच्छा अधिकारी बनने पर फोकस करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं नई चीजें सीखना चाहती हूं क्योंकि यह मेरे लिए कॉरपोरेट कल्चर से एक बड़ी पारी है।'
उन्होंने कहा, 'मुझे अपने पति की मौत से उबरने में समय लगा और लघु सेवा आयोग यानी एसएससी की परीक्षा में बैठने का निर्णय धीरे-धीरे हुआ। पिछले साल सितंबर में सिर्फ फॉर्म भरना मेरे लिए एक बड़ा फैसला था। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मैं अपने पति की तरह ही आगे बढ़ना चाहती हूं।'
निकिता ने कहा,’परीक्षा की प्रक्रिया ने उन्हें यह जानने में मदद की कि उनके पति ने इसे लिखते समय क्या किया था। उन्होंने कहा कि परीक्षा हॉल में प्रवेश करना मेरे लिए काफी इमोशनल पल था, जिसे मैंने अनुभव किया था। उस वक्त मेरे दिमाग में चल रहा था कि मेरे पति ने भी सेना ज्वाइन करने के लिए इसी तरह पहली परीक्षा दी होगी...इस पल ने मुझे उनके और करीब होने का एहसास कराया।‘
निकिता का कहना है कि पति के शहीद हो जाने के बाद सामान्य जीवन में वापस लौटना इतना आसान नहीं होता और फिर काम में जुट जाना। उम्मीद है कि यह दर्द कम होगा। उन्होंने कहा,’ मैं अपने पति की मौत के 15 दिन बाद ही ऑफिस जाने लगी, क्योंकि मैं खुद को व्यस्त रखना चाहती थी। इंसान का टुटना सामान्य है,लेकिन हमें परिस्थितियों को समझने की जरूरत होती है। मैंने अपने सामान्य जिंदगी में पॉजिटिविटी तलाशना शुरू कर दिया और एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी हुई।‘
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