एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब हैं नवदुर्गा के नौ स्वरूप
देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। नवदुर्गा के ये नौ स्वरूप स्त्री के जीवनचक्र को दर्शाते है। यानी एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब हैं नवदुर्गा के ये नौ स्वरूप।
शारदीय नवरात्रि का शुभारम्भ हो चुका है। चारों ओर श्रद्धा, भक्ति एवं हर्षोल्लास का माहौल है। माँ दुर्गा के मंत्रजाप से वातावरण भक्तिमय हो गया गै। पर हम आप सभी को बताना चाहते हैं कि नवरात्र के दौरान माँ दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। नवदुर्गा के ये नौ स्वरूप स्त्री के जीवनचक्र को दर्शाते है। यानी एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब हैं नवदुर्गा के ये नौ स्वरूप।
प्रथम जन्म ग्रहण करती हुई कन्या “शैलपुत्री" स्वरूप है।
कौमार्य अवस्था तक “ब्रह्मचारिणी" का रूप है।
विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह “चंद्रघंटा" समान है।
नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह “कूष्मांडा" स्वरूप है।
संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री “स्कन्दमाता" हो जाती है।
संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री “कात्यायनी" रूप है।
अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह “कालरात्रि” जैसी है।
संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से “महागौरी" हो जाती है।
धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि (समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली “सिद्धिदात्री" हो जाती है।
Comments (0)