कांग्रेस की अहंकारी राजनीति के खिलाफ पैदा हुआ एक और नायक, जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली ।
यह विशुद्ध रूप से कांग्रेस का अहंकार था। इसमें राजनीति कहीं भी नहीं थी। लेकिन कांग्रेसी भूल जाते हैं कि जिस जनता ने उन्हें राजा बनाया है उस जनता का दरवाजा हर नेता के लिए खुला होता है। बहुत पुरानी बात नहीं है जब इनके पिता राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद इन्होंने आंध्र में मुख्यमंत्री पद पर दावा किया। लेकिन दिल्ली में बैठें कांग्रेसियों ने जगन मोहन का रास्ता रोक लिया। जिस पार्टी के नेताओं ने जगन के लिए कांटें बिछाए उसी पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी बधाई दे रहे हैं।
आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाने वाले वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन ने 46 वर्षीय नेता को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनकी पार्टी को विधानसभा की 175 में से 151 सीटें मिली हैं।
सिर्फ वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने शपथ ली है। उनकी मंत्रिपरिषद सात जून को शपथ लेगी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव, द्रमुक प्रमुख एम. के. स्टालिन और पुडुचेरी के स्वास्थ्य मंत्री मलादी कृष्ण राव विशेष अतिथि थे। रेड्डी ने वियजवाड़ा के आईजीएमसी स्टेडियम में आयोजित समारोह में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर तेलुगू भाषा में शपथ ली।
वाईएसआर कांग्रेस ने पांच साल पहले तेलंगाना के गठन के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने एन. चन्द्रबाबू नायडू की तेदेपा को बुरी तरह हराया है। इसके साथ ही, वाईएसआर कांग्रेस ने राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 22 पर जीत दर्ज की है।
वहीँ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर जगनमोहन रेड्डी को बधाई दी है। गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए जगन रेड्डी जी को बधाई। उन्हें, मंत्रियों की नयी टीम और राज्य की जनता को मेरी ओर से शुभकामनाएं।’’
ये कांग्रेस की अहंकारी राजनीति के खिलाफ पैदा हुआ एक और नायक है। जगनमोहन रेड्डी। बहुत पुरानी बात नहीं है जब इनके पिता राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद इन्होंने आंध्र में मुख्यमंत्री पद पर दावा किया। लेकिन दिल्ली में बैठे कांग्रेसी दलालों और चाटुकारों ने जगनमोहन का रास्ता रोक दिया। केवल रास्ता ही नहीं रोका बल्कि जगनमोहन को जेल में डाल दिया गया। उनकी संपत्तियां जब्त कर ली गयीं।
यह विशुद्ध रूप से कांग्रेस का अहंकार था। इसमें राजनीति कहीं भी नहीं थी। लेकिन कांग्रेसी भूल जाते हैं कि जिस जनता ने उन्हें राजा बनाया है उस जनता का दरवाजा हर नेता के लिए खुला होता है। जगनमोहन ने भी जनता के दरवाजे पर जाकर न्याय मांगा और आज वो प्रचंड बहुमत से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। अगर अहंकारी कांग्रेस उस वक्त उनकी बात मान लेती तो शायद लंबे समय तक आंध्र में कांग्रेस की सरकार रहती। इसलिए आंध्र में जगनमोहन का उत्थान बताता है कि कांग्रेस का कितना पतन हुआ है। कांग्रेस जहां पहुंच गयी है, शायद वही उसकी जगह है। बस जनता नायक खोज रही थी।
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