कुमरखत गांव में खुदाई में मिला शिलालेख, मिथिला के इतिहास की मिल सकती जानकारियां
जिले के लदनियां प्रखंड का कुमरखत गांव इन दिनों चर्चा में है। बीते एक सप्ताह में गांव में कई पुरातात्विक महत्व की चीजें खुदाई में बरामद हुई हैं। देवी-देवताओं की प्रतिमा, शिवलिंग के साथ ही एक शिलालेख भी मिला है। पुरातत्वविदों के अनुसार यह शिलालेख प्रमुख ऐतिहासिक स्रोत हो सकता है। शिला पर अंकित लेख से कई ऐतिहासिक जानकारियां हासिल हो सकती हैं। लेख का अध्ययन कर यह पता लगाया जा सकता है कि यह किस काल का है। उस समय के सामाजिक, आर्थक, राजनीतिक, सांस्कृतिक महत्व की कई जानकारियां इससे प्राप्त हो सकती है। इसके लिए इन पुरातात्विक स्रोतों का संरक्षण जरूरी है। फिलहाल ये सारी प्रतिमाएं व शिलालेख गांव के डीहवार स्थान पर रखी गई है जहां लोग इनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
पुरातात्विक स्रोतों का जायजा लेने अब तक नहीं पहुंचे कोई अधिकारी: ग्रामीण कारी सिंह, महेश यादव, शिवनारायण ठाकुर, गंगा राम कामत, देवनाथ यादव, रामवृक्ष यादव, भुनेश्वर यादव, हरेकृष्ण यादव, नवीन ङ्क्षसह, रामसेवक कामत आदि ने बताया कि 26 मई को ग्रामीणों के सहयोग से गांव के ब्रह्म स्थान की चहारदीवारी निर्माण के लिए जेसीबी से मिट्टी की खुदाई की जा रही थी। इसी क्रम में जोर से खट्ट की आवाज आई। जब वहां की मिट्टी हटाई गई तो वहां पत्थर का शिला दिखा, जिसमें शिव, पार्वती व गणेशजी की प्रतिमा प्रतिष्ठापित थीं। लोगों ने इसे जल से प्रक्षालित कर प्रतिमा को वहीं श्रद्धापूर्वक प्रतिष्ठापित किया। इसकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी। यह खबर आसपास के गांवों में आग की तरह फैली। देखते ही देखते श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इसके चार दिन बाद 30 मई को जब उक्त स्थान के परिसर में एक पीपल के एक पेड़ को हटाने के लिए जेसीबी से खुदाई की गई तो एक शिवलिंग व दो शिलालेख निकले। इन्हें भी वटवृक्ष के समीप तत्काल स्थापित किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि खुदाई में निकले शिवलिंग और शिलालेख की लिखित सूचना थाने को दी गई है, लेकिन अभी तक इस जगह पर पुरातात्विक विभाग के कोई नहीं पहुंचे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जिस जगह से शिवङ्क्षलग व शिलालेख निकले हैं, वहां ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए पहल शुरू कर दी गई है।
मिथिला के इतिहास की मिलेगी जानकारी: दरभंगा स्थित महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय के अध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि शिलालेख पर अंकित लेख मिथिलाक्षर में हैं। जब विशेषज्ञ इस लेख का अध्ययन करेंगे तभी पता लग सकेगा कि यह लेख कब का है, किसने लिखा है और इसमें क्या तथ्य छिपे हुए हैं। कहा कि इसके लिए जरूरी है कि शिलालेख संरक्षित किया जाए और इसे संग्रहालय में सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए जिले के अधिकारियों से संपर्क किया गया है। कहा कि खुदाई में मिले पुरातात्विक स्रोतों का संरक्षण जरूरी है। प्राचीन प्रतिमाएं, शिलालेख आदि हमारे इतिहास लेखन के प्रमुख स्रोत होते हैं। इनकी उपेक्षा से हम कई ऐतिहासिक सूचनाओं से वंचित हो सकते हैं। इधर, थानाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह ने कहा कि शिलालेख अभी ग्रामीणों के बीच है। निर्देश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाए्गी। वहीं, एसडीओ बेबी कुमारी ने कहा कि सीओ को स्थल पर जाकर शिलालेख का जायजा लेने को कहा गया है। सीओ निशीथ नंदन ने कहा कि डीएम का आदेश मिलते ही शिलालेख को संग्रहालय के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
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