आनलाइन शापिंग का बढ़ता बाजार
हम आनलाइन बाजार की दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं। जब हम कोई चीज़ आनलाइन आर्डर करते हैं तो सबसे पहले साफ़्टवेयर यह पता लगाता है कि वह चीज कहां रखी हुई है। यह साफ़्टवेयर किसी कर्मचारी को बताता है कि वो चीज़ कहां रखी है। वो कर्मचारी वेयर-हाउस के उक्त शेल्फ़ तक पहुँचता है, पैकेट उठाता है, फिर हाथ में उठाए स्कैनर से स्कैन करता है। स्कैनर तय करता है कि वो सही पैकेट है, उस पर पता सही है या नहीं, और फिर उस पर ग्राहक का नाम, पते की पर्ची चिपका देता है। और अंततः यह ग्राहक तक पहुंचा दिया जाता है। कुल मिलकार देखा जाए तो कंप्यूटर या स्मार्टफोन की स्क्रीन पर पूरी दुनिया का बाजार सिमटता जा रहा है। लोग आनलाइन शापिंग का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं।

हम आनलाइन बाजार की दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं। जब हम कोई चीज़ आनलाइन आर्डर करते हैं तो सबसे पहले साफ़्टवेयर यह पता लगाता है कि वह चीज कहां रखी हुई है। यह साफ़्टवेयर किसी कर्मचारी को बताता है कि वो चीज़ कहां रखी है। वो कर्मचारी वेयर-हाउस के उक्त शेल्फ़ तक पहुँचता है, पैकेट उठाता है, फिर हाथ में उठाए स्कैनर से स्कैन करता है। स्कैनर तय करता है कि वो सही पैकेट है, उस पर पता सही है या नहीं, और फिर उस पर ग्राहक का नाम, पते की पर्ची चिपका देता है। और अंततः यह ग्राहक तक पहुंचा दिया जाता है। कुल मिलकार देखा जाए तो कंप्यूटर या स्मार्टफोन की स्क्रीन पर पूरी दुनिया का बाजार सिमटता जा रहा है। लोग आनलाइन शापिंग का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
विश्व की जनसंख्या लगभग 7 अरब है जिनमें से 3 अरब लोग इंटरनेट यूजर्स हैं। यानि कि इस दुनिया में चाहे बच्चे हों या बड़े या फिर बूढ़े सभी के हाथों में उनका अपना मोबाइल अब तक हो चुका है। नवजात बच्चे तो अपना मोबाइन नहीं रख सकते, लेकिन अब उन्हें भी मोबाइल चाहिए। वो भी बिना मोबाइल के नहीं रह सकते। और मोबादल अब केवल फोन करने, सिनेमा देखने, गाना सुनने, सोशल साइट पर समय बिताने के लिए ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि मोबाइल के जरिए आनलाइन खरीददारी पूरी दुनिया में बड़ी तेजी से पैर पसार रहा है। यही कारण है कि इस बीच स्मार्ट प्रोडक्ट इंटरनेट से जुड़ चुके हैं। वैश्विक स्तर पर, 23.1 बिलियन स्मार्ट उत्पाद है जिसकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है।
दुनियाभर में इंटरनेट के बढ़ते स्पीड से हमारा कनेक्शन बेहतर और तेज होता जा रहा है और आनलाइन होते जा रहे है। स्मार्ट प्रोडक्ट में दिन प्रति दिन लोगों की पहुंच होती जा रही है चाहे वो विश्व भर में कहीं का भी उपभोक्ता हो। ये सुविधा प्रोडक्ट और सेवाओं के बीच महत्वपूर्ण परिवर्तन ला रहा है। ये लोगों को जहां सुविधाजनक बना रहा है तो वहीं कुछ ऐसी बातें हैं जो आनलाइन सेवाओं को कमजोर बनाती है। सुरक्षा, गोपनीयता और सार्थक विकल्प की कमी के लिए किसे जिम्मेदार बनाया जाए, उसकी रिकवरी कैसे किया जाए, आदि।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए 2019 के विष्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के लिए थीम दिया गया है- विश्वसनीय स्मार्ट उत्पाद। इस थीम के जरिए यह जानने की कोशिश है कि आखिर कनेक्टेड दुनिया से उपभोक्ता क्या चाहता है और इन डिजिटल उत्पादों सेवाओं का विकास उनके लिए कितना मायने रखता है।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शन में उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए 1983 में 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित हुआ था और तभी से प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।
आईटीयू रिपोर्ट के मुताबिक, आबादी में प्रथम स्थान रखने वाला चीन मोबाइल का उपभोग करने में भी प्रथम स्थान पर है वहीं भारत दूसरे स्थान पर। जिस प्रकार से मोबाइल उपभोक्ता की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है तो आने वाले समय में उसी अनुपात में लोग ज्यादा से ज्यादा अपने मोबाइल फोन से ही शापिंग करेंगे। यही वजह है कि डिजिटल दुकानों में सामानों की लंबी सूची होती जा रही है और वे सामान स्मार्ट उत्पाद के रूप में जाना जाने लगे हैं। ये सूची और भी लुभाती है जब ये छूट और दूसरे आकर्षक प्रस्तावों के साथ पेश की जाती है। त्योहारों का मौसम आने पर तो ये कोशिशें और भी तेज़ हो जाती है।
ऐसी कई बातों के लिए पारम्परिक दुकानों पर जाने की ज़रूरत ही नहीं है। मसलन, डिजिटल दुकान से सामान मंगवाया, छू कर देखा, महसूस करके देखा, पसंद नहीं आया. कोई बात नहीं, वापस कर दिया, पूरा पैसा वापस और उसके लिए कहीं जाने की ज़रूरत भी नहीं होती। रही सही कसर घर पर आकर डिजिटल दुकान का कारिंदा कर जाएगा। और तो और क्रेडिड कार्ड, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, कोई बात नहीं, घर पर आकर आपसे नकद ले सामान दे दिया जाएगा।
वैसे तो पूरे साल ही ये कंपनियां तरह-तरह के प्रस्तावों के ज़रिए आपको लुभाने में जुटी रहती हैं। अब इन सब से ग्राहकों को फायदा हुआ तो ई-कामर्स का कुल कारोबार भी बढ़ा और आगे भी तेज़ी से बढ़ने के आसार हैं। दुनिया के बड़े आनलाइन रीटेलर्स में से एक अमेज़न ही रोज़ाना लाखों पैकेट दुनिया के अलग-अलग हिस्से में पहुंचाता है। अन्य के आंकड़ों को मिला दिया जाए तो पैकेट के डिलीवरी की संख्या करोड़ों-अरबों में पहुंच जाती है।
आनलाइन अपराध
बदलते दौर में, आनलाइन शापिंग ट्रेंड के साथ-साथ ज़रुरत भी बन चुकी है लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो सिर्फ़ ठगे जाने के डर से आनलाइन शापिंग नहीं करता है। कुछ लोगों को डर होता है कि उनके डेबिट या क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स लीक हो जाएंगी तो कुछ लोगों को इस बात की चिंता सताती है कि उन्हें सही सामान नहीं मिलेगा।
आजकल कई मामलों में देखा गया कि आर्डर कुछ और किया गया और सामान कुछ और आ जाता है। यानि सोचने वाली बात है कि आखिर आर्डर की हुई चीज़ डिलीवरी के समय बदल कैसे जाती है?
जब ये सारा काम इतने सिस्टमैटिक तरीक़े से होता है तो ग़लती होने की गुंजाइश कहां है? इस पर ई-कामर्स और साइबर मामलों के जानकारों का मानना है कि अगर आपने सामान अच्छी ई-कामर्स वेबसाइट से ख़रीदे हैं तो कंपनी के स्तर पर गड़बड़ी होने की गुंजाइश बहुत कम होती है। लेकिन अमूमन लोग ‘सेलर्स’ पर ध्यान नहीं देते। सेलर्स की रेटिंग इस तरह की धांधलियों के लिए ख़ासतौर पर ज़िम्मेदार होती है। इसके अलावा कई बार डिलीवरी ब्वाय भी सही सामान निकालकर कुछ भी भर देते हैं।
सतर्कता अपनाएं
आनलाइन खरीदारी के समय सबसे पहले तो रेटिंग चेक करें। डिलीवरी ब्वाय सामान देने आए तो उसे रोके रखें और उसके सामने ही बाक्स खोलें। बाक्स खोलते समय वीडियो भी बनाएं ताकि आपके पास इस बात का सुबूत हो कि आपको ग़लत सामान मिला है। कई बार ग़लत सामान आ जाता है लेकिन वो ये भी मानते हैं कि कई बार लोग भी धोखा करते हैं और सही सामान आने के बावजूद ग़लत होने की शिकायत करते हैं। ऐसे में वीडियो बना लेना हमेशा ही सुरक्षित है। सबसे ज़रूरी यह है कि जिस वेबसाइट से ख़रीदारी की गई हो वो जानी-मानी हो और उसकी रेटिंग अच्छी हो।
आजकल आनलाइन आफर्स की बरसात करने वाले ई-मेल्स का आना आम बात है लेकिन इसमें से कई ई-मेल आपको गलत वेबसाइट की तरफ ले जा सकते हैं। अगर आपने इनमें अपनी जानकारी दे दी तो साइबर अपराधी इसका फायदा उठा सकता है। इस तरह के मामलों को स्पियर फिशिंग कहते हैं।
हालांकि जो लोग आनलाइन शापिंग को लेकर पूरी तरह से बेफिक्र हैं, वे सावधान हो जाएं, क्योंकि साइबर अपराधी की नज़र आप पर हो सकती है। आनलाइन शापिंग का बाजार ही इतना बड़ा है कि साइबर अपराधी इस बाजार में अपने शिकार की फिराक में रहता है। हमें आनलाइन शापिंग में धोखा खाने से बचने के लिए निम्न उपाय करना चाहिए जैसे कि अनजान वेबसाइट पर शाॅपिंग न करें, डिस्काउंट्स के चक्कर में पड़कर किसी स्कैम का शिकार न हों, पेमेंट करते हुए सचेत रहें। किसी और के मोबाइल फोन से शापिंग करना भी खतरनाक हो सकता है। अनसेक्योर्ड इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल आनलाइन पेमेंट या शापिंग के लिए न करें।
कभी भी आनलाइन शापिंग शुरू करने से पहले याद रखें कि कंप्यूटर पर एंटी-वायरस ज़रूर होना चाहिए। फिर ये चेक करें कि जहां से सामान ख़रीदा जा रहा है, उसका पता, फ़ोन नंबर और ई-मेल एड्रेस वेबसाइट पर लिखा है या नहीं। धोखा करने वाली वेबसाइट्स अपने पेज पर ये जानकारी शेयर नहीं करती हैं।
अगर किसी चर्चित प्रोडक्ट पर भारी डिस्काउंट मिल रहा है तो दूसरी वेबसाइट्स भी चेक कर लें। अगर सिर्फ़ किसी एक वेबसाइट पर ही ये छूट है तो थोड़ा सतर्क हो जाएं। पेमेंट करते समय बहुत अधिक सतर्क रहने की ज़रूरत है। पता करें कि जिस वेबसाइटसे आप सामान ख़रीद रहे हैं उसके सिस्टम में वेरीफ़ाइड बाई वीज़ा या मास्टरकार्ड सिक्योरकोड के ज़रिए पेमेंट कर सकते हैं या नहीं।
अगर इन सारी बातों से आप संतुष्ट हैं, तभी ख़रीदारी को लेकर आगे बढ़ें. हमेशा की तरह अपने क्रेडिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड या पिन कभी किसी से शेयर नहीं करें।
निष्कर्ष
आवश्यकता है उपभोक्ता को अपने अधिकरों के प्रति सचेत होने की। जागरूक उपभोक्ता न केवल शोषण से अपनी सुरक्षा करता है बल्कि समूचे निर्माण और सेवा क्षेत्र में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को प्रेरित करता है। उपभोक्ताओं की जागरूकता के स्तर को किसी देश की प्रगति का सूचक माना जा सकता है परंतु यह जागरूकता तभी सार्थक होगी जब उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार के साथ-साथ आम नागरिक भी सक्रिय भूमिका निभाए। ताकि ऑनलाइन उत्पादों पर लोगों का भरोसा कायम रह सके।
Comments (0)