उत्साह, उमंग, प्रेम, प्रसन्ना, एकता एवं सद्भावना का पर्व है होली
होली अत्यंत लोकप्रिय और हर्षोल्लास से परिपूर्ण त्यौहार है। प्रत्येक वर्ष आमतैर पर मार्च माह के आरम्भ में यह त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष होली 10 मार्च को मनाई जाएगी। लोगों का विश्वास है कि होली के चटक रंग ऊर्जा,जीवंतता और आनंद के सूचक हैं। होली की पूर्व संध्या पर होलिका दहन किया जाता है और लोग अग्नि की पूजा करते हैं।
होली अत्यंत लोकप्रिय और हर्षोल्लास से परिपूर्ण त्यौहार है। प्रत्येक वर्ष आमतैर पर मार्च माह के आरम्भ में यह त्यौहार मनाया जाता है। लोगों का विश्वास है कि होली के चटक रंग ऊर्जा,जीवंतता और आनंद के सूचक हैं। होली की पूर्व संध्या पर होलिका दहन किया जाता है और लोग अग्नि की पूजा करते हैं।
वास्तव में होली के रोगों की तरह ही हमारा जीवन भी रंगों से भरा होना चाहिए। प्रत्येक रंग अलग-अलग देखने और आनंद उठाने के लिए बनाए गए हैं। यदि सभी रंगों को एक में मिला कर देखा जाए तो वे सभी काले दिखेंगे। लाल, पीला, हरा आदि सभी रंग अलग-अलग होने चाहिए, पर साथ ही हमें इनका आनंद भी एक साथ उठाना चाहिए।
होली क्या है?
भारतीय सनातन संस्कृति का प्रमुख पर्व है होली। होली एक ऐसा पर्व जिसका स्मरण मात्र से ही मन-मस्तिष्क में रंगों की बौछार होने लगती है। होली में बहार है। होली में खुमार है। होली में श्रृंगार है। होली में वीणा की झंकार है। होली रंगों का त्योहार है। होली साजन की पुकार है। होली पर्व सर्वभाव संपन्न है। होली में फाग की मस्ती भी है। भंवरों की गूंज भी है तो कलियों का प्रस्फुटन भी है। होली में आम की बौंर से बौराया समां भी है। होली में कोकिलों की कूक भी है।
होली और ऋतु
होली के लिए मौसम भी खास है। अर्थात ऋतुओं का राजा बसंत ही सबका सूत्रधार है। पीत परिधान में सजे ऋतुराज का आगमन चारों ओर हर्ष, प्रेम, उमंग एवं उल्लास भर देता है। पतझड़ की पीड़ा झेल रहे बागों में कोपलों का आगमन है। यह वही मौसम है जब भगवान श्रीराम जनकनंदनी माता सीता से पुष्पबाटिका में मिले थे। भगवान श्रीकृष्ण ने गेपियों संग रास रचाया था। महाशिवरात्रि में ऊँ नमः शिवाय का जयघोष है। यही वह मौसम है जब देवाधिदेव महादेव का मां गौरा से मिलन हुआ था।
होली का संदेश
होली नवसंवत्सर का प्रथम दिन है। होली इस बात का संदेश देती है कि सभी के जीवन में खुशियों का रंग भरा रहे। संवत्सर का अवसान होलिका दहन से होता है। जो सभी बुराईयों को पीछे छोड़ जाने का, मन की कलुषता को अग्नि की भेंट चढ़ाने का, स्वच्छ एवं निर्मल ह्रदय से चैत्र मास के प्रथम दिन की शुरुआत करने का तथा वर्ष पर्यंत खुशियां बांटने का संदेश देता है। होली मिलन की संस्कृति भी इसी बात की परिचायक है। होली भेद भाव का नाश करती है। होली मन में उपजे वैर कंटकों को समूल नाश करने का संदेश देती है।
होली और रंग
होली हुड़दंग का पर्व है। होली रंगों का पर्व है। अतः बच्चों की टोलियां निकल पड़ती हैं। सड़कों पर, गलियों में, मोहल्लों में, गांवों में, शहरों में, बाजारों में। सभी के हाथों में पिचकारियां होती हैं। आप झक सफेद कपड़े पहने हों, इससे कोई मतलब नहीं। होली है तो रंगीन होना ही होगा। उजले की गुंजाइश है ही कहां। नाराजगी और गुस्सा करने का भी अधिकार नहीं। क्योंकि होली का तो बस अपना ही नारा है। 'बुरा न मानो होली है'। अतः इस पावन पर्व पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराईयों को दूर भगाना चाहिए।
होली की महत्ता
होली आपसी प्रेम, एकता एवं भाईचारे का प्रतीक पर्व है। होली हमें सभी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाने की प्रेरणा देती है। वास्तव में होली प्रेम, प्रसन्ना, एकता एवं सद्भावना का पर्व है। यह रिश्तों में मिठास भरने का पर्व है। दुश्मम को भी गले लगाने का पर्व है। अतः होली के दिन दोपहर बाद दोस्तों, रिश्तेदारों के आने-जाने, एक दूसरों को अबीर-गुलाल लगाने, बुजुर्गों के चरणस्पर्श करने, हमउम्र से गले मिलने तथा बच्चों को शुभाशीष प्रदान करने की पुरातन परंपरा हैं।
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