Unlock Shiksha (EP- 01) : जानिए,देश की प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार मेहरा से ऑनलाइन शिक्षा का महत्व,लॉकडाउन के दौरान कैसे प्राप्त हो अनलॉक शिक्षा?
शिक्षा के बगैर समृद्ध देश और समाज की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। लिहाजा, शिक्षा में उन्नत तकनीक को शमिल कर लिया गया है। उन्नत तकनीक के माध्यम से शिक्षा के तरीके को भी बदल दिया गया है। शिक्षा प्राप्त करना और भी सुलभ और सस्ता हो गया है। देश की प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार मेहरा ने The India Plus News के विशेष कार्यक्रम “Unlock शिक्षा” में ये बातें कही।
शिक्षा किसी व्यक्ति के विकास और समुदाय की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। शिक्षा के बगैर समृद्ध देश और समाज की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। लिहाजा, शिक्षा में उन्नत तकनीक को शमिल कर लिया गया है। उन्नत तकनीक के माध्यम से शिक्षा के तरीके को भी बदल दिया गया है। शिक्षा प्राप्त करना और भी सुलभ और सस्ता हो गया है। देश की प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार मेहरा ने The India Plus News के विशेष कार्यक्रम “Unlock शिक्षा” में ये बातें कही।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट, मोबाइल फोन, मोबाइल एप्लिकेशन, टैबलेट, लैपटॉप और अन्य आधुनिक उपकरणों के विकास के कारण दुनिया की अधिक से अधिक चीजें डिजिटल हो रही हैं। भारत के महानगरों और अन्य शहरों की शिक्षा प्रणाली भी काफी हद तक आधुनिकीकृत हो गई हैं,जिससे डिजिटलीकरण के लिए रास्ता बन गया है।
डॉ. मेहरा ने कहा कि डिजिटल शिक्षा या कहें ऑनलाइन शिक्षा देश के कई अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों के साथ-साथ भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में भी अपनी जगह बना रही है और पारंपरिक कक्ष प्रशिक्षण का स्थान ले रही है। पारंपरिक शिक्षा शिक्षण से ऑनलाइन शिक्षा बेहतर माना जाता है।
प्रो. मेहरा ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा का भविष्य भारत में बहुत उज्ज्वल है। भारत में लोग सुविधा, किफायती लागत और गुणवत्ता शिक्षा के कारण ऑनलाइन शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि न केवल सरकारी संस्थानों, बल्कि निजी संस्थानों द्वारा भी ऑनलाइन शिक्षा को अपनाया गया है।
प्रो. मेहरा मे बताया कि ऑनलाइन शिक्षा का दायरा बड़ा है। देश के महानगरों से लेकर सुदूर गांवों तक में ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच है। जेएनयू जैसे डीयू जैसे कई शीर्ष विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, स्कूलों और अन्य तकनीकी संस्थानों ने तो ऑननलाइन शिक्षा प्रणाली को स्वीकार किया ही है। गांव में बैठा एक छात्र भी तकनीक के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर रहा है।
डॉ. मेहरा ने ऑनलाइन शिक्षा के अनेक फायदों के साथ-साथ कुछ नुकसान भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन यानी डिजिटल शिक्षा पाने के लिए छात्रों को कई उपकरणों को लेना होता है, जो काफी महंगे होते हैं और हमारे देश में कई परिवारों की स्थिति ऐसी नहीं है कि वो अपने बच्चों के लिए इन महंगे उपकरणों की खरीद कर सकें।
गांव में बैठा गरीब परिवार का बेटा आज भी इससे महरूम है। उसके परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि वह अपने विद्यार्थी बच्चे को मोबाइल, टैब या लैपटॉप दिलवा सके। यही कारण है कि डिजिटल शिक्षा देने वाले अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय स्कूल और विद्यालय नियमित स्कूलों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं। इसी कारण डिजिटल शिक्षा पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती है।
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