सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने से कमजोर हुई बच्चों की इम्युनिटी, विशेषज्ञों ने जताई चिंता
इंग्लैंड के विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के इस्तेमाल से भले ही कई लोगों की जान बच गई हो, लेकिन इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार पिछले 15 महीनों से बच्चों का वायरल जैसी बीमारियों से कोई बड़ा सामना नहीं हुआ है, जिससे मौसमी फ्लू होता है। इन रोगाणुओं के संपर्क में न आने के कारण उनके शरीर में इनके प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं बन पाई है।
द गार्डियन में छपी रिपोर्ट के अनुसार वायरोलॉजिस्ट रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (RSV) के बारे में भी चिंतित हैं, एक वायरस जो एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों में गंभीर फेफड़ों के संक्रमण और कभी-कभी मौत भी पैदा करता है। इसके लिए अभी तक कोई टीका भी नहीं है। विशेषज्ञों ने कहा कि प्री-कोविड दिनों में, अस्पतालों में आने वाले वाले अधिकतर छोटे बच्चों की बीमारी के पीछे सबसे बड़ा कारण आरएसवी होता था।
रिपोर्ट में पब्लिक हेल्थ वेल्स के साथ जुड़ीं डॉ कैथरीन मूरे कहती हैं कि महामारी से पहले 18 महीने की उम्र तक बच्चों का लगभग सभी सीजनल वायरसों के साथ वास्ता पड़ जाता था, लेकिन अब ऐहतियातों के चलते ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि फ्लू मुझे चिंतित करता है, लेकिन एक टीका है और इसलिए सबसे कमजोर लोगों के पास अभी भी टीकों तक पहुंच होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, महामारी से पहले आरएसवी की वजह से यूनाइटेड किंगडम में सालाना 30,000 से अधिक शिशुओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। मूर ने कहा, हमारे पास अब ऐसे बच्चों के दो समूह हैं जो कभी वायरस से नहीं मिले हैं, इसलिए वे अतिसंवेदनशील हैं। वहीं, नॉटिंघम विश्वविद्यालय के वायरोलॉजी के प्रोफेसर विलियम इरविंग ने इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि हमने पिछली सर्दियों में फ्लू नहीं देखा था, इसलिए यदि यह आने वाली सर्दियों में वापस आता है, तो यह बहुत बुरा रूप धारण कर सकता है।
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